कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का महत्व

कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का महत्व

शास्त्रों में कार्तिक पूर्णिमा के दिन दिन गंगा स्नान का बड़ा महत्व बतायागया है। माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से पूरे वर्षगंगा स्नान करने का फल मिलता है। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया कीइस दिन गंगा सहित पवित्र नदियों एवं तीर्थों में स्नान का भी महत्व है। यमुना, गोदावरी, नर्मदा, गंडक, कुरूक्षेत्र, अयोध्या, काशी में स्नान करने से विशेष पुण्यकी प्राप्ति होती है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन उत्तर प्रदेश के गढ़मुक्तेश्वर तीर्थमें स्नान करने का भी बड़ा महत्व है।
 
मान्यता है कि महाभारत युद्घ समाप्त होने के बाद अपने परिजनों के शव को देखकरयुधिष्ठिर बहुत शोकाकुल हो उठे। पाण्डवों को शोक से निकालने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गढ़ मुक्तेश्वर में आकर इसी दिन मृत आत्माओं की शांति के लिए यज्ञ औरदीपादन किया। उस समय से ही कार्तिक पूर्णिमा के दिन गढ़मुक्तेश्वर में स्नान औरदीपदान की परंपरा शुरू हुई। महाकाल की नगरी उज्जैन में भी पुण्य सलिला मां शिप्राके पावन तट पर कार्तिक स्नान का बहुत महत्व है। पूरे एक माह तक भौर के तारे के उदयहोने पर महिला-पुरुष तीर्थ तटों पर पहुंचते हैं और पुण्य लाभ अर्जित करते हैं ।कार्तिक स्नान का जहां धार्मिक-पौराणिक महत्व तो है ही, साथ ही इस मास में होनेवाली ऋतु परिवर्तन के चलते यह हमारे जीवन में भी विशेष महत्व रखता है।
 
धर्म शास्त्र के अनुसार बारह मास में कार्तिक का विशेष महत्व है। यह हमारेजीवन में भी विशेष महत्व रखता है। इसके कई आधार हैं, जिसमें ऋतु परिवर्तन के चक्रसे लेकर मास पर्यंत सूर्य संक्रांंति का प्रभाव तथा सूर्य की तुला राशि में होने केबावजूद कार्तिक में वर्ष के श्रेष्ठ त्योहारों का होना, देव का जाग्रत होना, चातुर्मास का समापन आदि ये सब इस बात को स्पष्ट करते हैं, कि बारह माह में कार्तिकमास का हमारे जीवन में विशेष महत्व है।
 
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की पाप निवारण के लिए भी खासहै यह महीना। विष्णु पुराण के अनुसार राधा दामोदर की पूजा का यह माह बताया गया है।अपने जीवन के ज्ञात-अज्ञात, पाप दोषों से निवृत होने का यह विशिष्ट माह है।शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि कार्तिक माह के दौरान भगवत भक्ति, ईष्ट कृपा, महालक्ष्मी की कृपा, यम के भय से मुक्ति, भाई-बहनों के संबंधों को दृढ़ता प्रदानकरने की विशेष अवस्था, साथ ही आरोग्यता प्राप्त करने के लिए आंवले का पूजन करना, यहइस माह की प्रमुख उपलब्धियां हैं, जो मानव जीवन में अपना विशेष प्रभाव रखतीहैं।
 
ऋतु चक्र के आधार पर---
 
ऋतु चक्र के आधार पर देखें तो शरद ऋतु का आगम्य प्रभाव तथा प्रकृति में ऊर्जाका परिवर्तन तथा उस ऊर्जा से मानसिक, वैचारिक, शारीरिक परिवर्तन तथा इससे प्रेरितजीवन की आर्थिक उपलब्धि, धार्मिक-आध्यात्मिक प्राप्ति का यह प्रभावशाली माह है।धर्म शास्त्र के अनुसार इस माह में सूर्य के उदयकाल से पहले तीर्थ नदियों पर स्नानकरके राधा माधव के भक्ति गीत तथा तुलसी का पूजन करने से अपने पितरों के तारने केसाथ-साथ परिवार में सुख-समृद्धि भी देता है। राधा दामोदर का पूजन जीवन में अनिष्ट, समस्त बाधा का निवारण करने वाली मानी गई है। तुलसी का पूजन परिवार में स्त्रियों केसौभाग्य वृद्धि का तथा विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष का कारक माना गया है। साथ हीतुलसी की कृपा से परिवार में सुख, शांति, आरोग्यता, पति की दीर्घायु प्राप्त होतीहै।
 
जानिए दान का महत्व----
 
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की शास्त्रों में दान का बड़ामहत्व बताया गया है। इनमें कार्तिक पूर्णिमा के दिन किए गए दान का अपना विशेष महत्वहै। मान्यता है कि इस दिन व्यक्ति जो भी दान करता है वह मृत्यु के पश्चात स्वर्गमें उसे वापस मिल जाता है। इसलिए उदारता पूर्वक जरूरतमंदों को वस्त्र,धन एवं अनाजदान करना चाहिए।
 
क्यों और कैसे करे दीपों के दान---
 
यह माह दीपों के दान का है, अधिक से अधिक दीप चैतन्य करने से कुल की सात पीढ़ीतृप्त होती है, आगे वंश वृद्धि भी होती है। कार्तिक माह में तीर्थ पर दीप दान, अंधेरे मंदिरों में दीपदान, गाय घर में दीप, घोड़े का अस्तबल, बावड़ी की चौकी, कुएंका मुहाना, सुनसान गली का अंधेरा। इन क्षेत्रों में पूरे माह दीप प्रज्जवलित करें।यदि मास में नहीं हो सके, तो धन तेरस, रूप चौदस, दीपावली एवं कार्तिक शुक्ल पक्ष कीपंचमी, एकादशी, चौदस व पूर्णिमा पर पंचमहाभूत एवं पितरों के निमित्त तीर्थ वउपयुक्त स्थानों पर दीप दान करने से जीवन में प्रतिष्ठा, पराक्रम, आर्थिक, पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है। वंश में वृद्धि के साथ ही अग्रजों को दीर्घायुकी प्राप्ति होती है।
 
जानिए क्या करें इस महीने में---
 
इस माह में विशेष यह है कि तिल्ली के तेल का उबटन लगाने से अज्ञात भय सेनिवृति मिलती है। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की घर की छत परअपनी ऊंचाई के बराबर अष्टदल पर दीपक चैतन्य करने से अर्थात अष्टदल पर आठ व मध्य मेंएक दीपक चैतन्य करने से लक्ष्मी व इंद्र की ही कृपा प्राप्त होती है। इसके अलावा भीपितृ लोक से पितृ इस मास में खासकर तुला राशि की सूर्य संक्रांति विशेष मानी गई है।क्योंकि कन्या राशि से लेकर वृश्चिक तक ये तीन राशियां सूर्य की परिभ्रमण की अवस्थापितरों के लिए विशेष मानी जाती है। इसके अंतर्गत देव अग्रजों के द्वारा पितरों कीपूजा होती है, तो उनकी कृपा रहती है। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री नेबताया की यदि कन्या राशि के सूर्य में या तुला राशि के सूर्य में भी पूजा नहीं होपाती है, तो पितृ कुपित होते हैं। मदन रत्न ग्रंथ के अनुसार पितृ श्राप देकर जातेहैं, इसलिए इस दोष से बचने के लिए कार्तिक माह में पितरों के निमित्त राधा दामोदरका पूजन करने के बाद तर्पण अवश्य करना चाहिए। काले तिल का दान ताम्र कलश में भरकरअवश्य करना चाहिए। साथ ही यदि पितरों के निमित्त पंच रत्नों का दान करें तो धन कोषकभी रिक्त नहीं होता कुबेर की कृपा बनी रहती है।
 
इस मास आते हैं ये प्रमुख त्योहार-----
 
इस मास के प्रमुख त्योहारों की दृष्टि से देखें तो करवा चौथ, एकादशी, द्वादशी, धनतेरस, रूपचौदस, दीपावली, अन्नकूट, भाई दूज, गौरी तृतीया, आंवला पंचमी, आंवलानवमी, पर्यंत तीन दिवसीय आंवल उत्सव तथा देवउठनी एकादशी एवं कार्तिक की चतुर्दशी वपूर्णिमा ये विशेष महत्वपूर्ण त्योहर व व्रत इस मास में करने से संपूर्ण वर्ष केश्रेष्ठ व्रतों का फल मिल जाता है।
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