क्यों किया जाता हें कार्तिक पूर्णिमा पर नदी स्नान

क्यों किया जाता हें कार्तिक पूर्णिमा पर नदी स्नान

कार्तिक पूर्णिमा पर नदी स्नान करने की परंपरा है। इस दिन बड़ी संख्या में देशकी सभी प्रमुख नदियों पर श्रद्धालु स्नान के लिए पहुंचते हैं। प्राचीन काल से ही यहप्रथा चली आ रही है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान का बड़ा ही महत्व है। आरोग्यप्राप्ति तथा उसकी रक्षा के लिए भी प्रतिदिन स्नान लाभदायक होता है। फिर भी माघवैशाख तथा कार्तिक मास में नित्य दिन के स्नान का खास महत्व है। खासकर गंगा स्नानसे।
 
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की  यह व्रत शरद पूर्णिमा सेआरंभ होकर कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा को संपन्न किया जाता है। इसमें स्नान कुआं, तालाबतथा नदी आदि में करना ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। कुरुक्षेत्र, अयोध्या तथाकाशी आदि तीर्थों पर स्नान का और भी अधिक महत्व है।
भारत के बड़े-बड़े शहरों से लेकर छोटी-छोटी बस्तियों में भी अनेक स्त्रीपुरुष, लड़के-लड़कियां कार्तिक स्नान करके भगवान का भजन तथा व्रत करते हैं। सायंकाल के समयमंदिरों, चौराहों, गलियों, पीपल के वृक्षों और तुलसी के पौधों के पास दीप जलाये जाते हैं। लंबे बांस में लालटेन बांधकर किसी ऊंचे स्थान पर कंडीलें प्रकाशित करतेहैं। इन व्रतों को स्त्रियां तथा अविवाहित लड़कियां बड़े मनोयोग से करती हैं। ऐसी मान्यता है कि इससे कुवांरी लड़कियों को मनपसंद वर मिलता है। तथा विवाहित स्त्रियों के घरों में सुख-समृद्धि आती है। 
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