जानिए कैसे निकाला जाये विवाह का मुहूर्त..??, विवाह मुहूर्त में किन-किन दोषों पर विचार किया जाना चाहिए?  

  जानिए कैसे निकाला जाये विवाह का मुहूर्त..??, विवाह मुहूर्त में किन-किन दोषों पर विचार किया जाना चाहिए?  

  विवाह के लिए पंड़ितों द्वारा शुभ मुहूर्त निकाला जाताहै। आपके घर में किसी के विवाह की तारीख तय करनी है, आप अगर चाहें तो बिना किसी पंड़ित के पास जाए स्वयं विवाह का शुभ मुहूर्त निकाल सकते हैं। विवाह का शुभ मुहूर्तनिकालने की प्रक्रिया इस प्रकार है....
जिन लोगों को वास्तव मे कतई ज्योतिष की जानकारी नही है वे आसानी से वर-कन्याके गुण दोष बताने लगते है इस प्रकार से कितने अर्थ के अनर्थ हो जाते है
आज कम्पयूटर का जमाना है जिसे देखो अपने अपने कम्पयूटर में कोई न कोई सोफ़्टवेयर ज्योतिष वाला डालकर बैठा है, जैसे ही किसी भी वर कन्या की विवाह वाली बात की जाती है सीधे से वर और कन्या की जन्म तारीख समय आदि के साथ कुंडली बना ली जातीहै और उन्हे सीधे से विवाह मिलान के लिये देखा जाता है,
गुण चक्र नाडी दोष और भकूट दोष आसानी से कम्पयूटर का सोफ़्टवेयर निकाल कर दे देता है,
मंगल चाहे वक्री हो अस्त हो कम डिग्री का हो उसे मंगली दोष लगाते देर नही लगतीहै,
चन्द्रमा चाहे बाल हो वृद्ध हो अस्त हो नीच हो उसे राशि मिलान करते देर नहीलगती है,
कन्या का गुरु बल चाहे बहुत ही कमजोर हो वर का सूर्य बल चाहे बिलकुल ही नहीमिलता हो लेकिन कम्पयूटर के अनुसार गुण चक्र बताने मे कतई देर नही लगती है और फ़टाफ़टफ़ैसला भी हो जाता है,चाहे दोनो का चन्द्र बल बहुत ही अच्छा हो। 
इस प्रकार से कितने अर्थ के अनर्थ हो जाते है जिन लोगों को वास्तव मे कतईज्योतिष की जानकारी नही है वे आसानी से वर-कन्या के गुण दोष बताने लगते है और जबउनसे कोई बात पूँछी जाती है तो वे अपने गुण को सर्वोच्च बताने की आशा मे अपने अनापसनाप वाचाली नीति को अपनाने लगते है।
मूल अनुराधा मृगशिरा रेवती हस्त उत्तराफ़ाल्गुनी उत्तराषाढा उत्तराभाद्रपतस्वाति मघा रोहिणी इन नक्षत्रो मे और ज्येष्ठ माघ फ़ाल्गुन बैशाख मार्गशीर्ष आषाढ इनमहीनो मे विवाह करना शुभ है। विवाह का सामान्य दिन पंचांग मे लिखा रहता है अत:पांचांग के लिये दिन को लेकर उस दिन वर कन्या के लिये यह विचार करना कन्या के लियेगुरुबल वर के लिये सूर्य बल दोनो के लिये चन्द्रबल देख लेना चाहिये।
गुरुबल विचार:-गुरु कन्या की राशि से नवम एकादश द्वितीय और सप्तम राशि मे शुभहोता है दसम तृतीय छठा और प्रथम राशि मे दान देने से शुभ और चौथे आठवे बारहवी राशिमे अशुभ होता है।
सूर्य बल विचार:- सूर्य वर की राशि से तीसरा छठा दसवा ग्यारहवा शुभ होताहै,दूसरा पांचवा सातवा और नवां दान देने से शुभ माना जाता है,चौथा आठवां बारहवांसूर्य अशुभ होता है।
चन्द्रबल विचार:- चन्द्रमा वर और कन्या की राशि से तीसरा छठा सातवां दसवाग्यारहवां शुभ पहला दूसरा पांचवां नौवां दान से शुभ और चौथा आठवां बारहवां अशुभहोता है।
विवाह मे त्यागने वाली लगनें:- दिन मे तुला वृश्चिक और रात्रि में मकर राशिबधिर है,दिन मे सिंह मेष वृष और रात्रि में कन्या मिथुन कर्क अन्धी है,दिन मे कुंभऔर रात्रि मे मीन दोनो लगने पंगु है,सिंह मेष वृष मकर कुम्भ मीन ये लगन सुबह और शामके समय कुबडे होते है.
त्यागने वाली लगनों का फ़ल:- अगर विवाह बधिर लगन मे होता है तो वर कन्या चाहेकुबेर के खजाने से लदे हुये जाये लेकिन दरिद्र हो जायेंगे,दिन की अन्धी लगनो मेविवाह किया जाता है तो कन्या को वर से दूरी मिलनी ही है,रात्रि की अन्धी लगन मेविवाह होता है तो संतति होने का सवाल ही नही होता है और होती भी है तो जिन्दा नहीरहती है,लगन पंगु होती है तो धन नाश और परिवार की मर्यादा का नाश होने लगताहै।
लगन शुद्धि:- लगन से बारहवे शनि दसवे मंगल तीसरे शुक्र लग्न मे चन्द्रमा औरक्रूर ग्रह अच्छे नही होते है लगनेश और सौम्य ग्रह आठवें भाव मे अच्छे नही होते हैसातवे भाव मे कोई भी ग्रह शुभ नही होता है।
ग्रहों का बल:- पहले चौथे पांचवे नवें और दसवे स्थान मे गुरु सब दोषों को नष्टकरने वाला होता है,सूर्य ग्यारहवे स्थान स्थिति तथा चन्द्रमा वर्गोत्तम लगन मेस्थिति नवांश दोष को नष्ट करता है बुध लगन से चौथे पांचवे नौवें और दसवे स्थान मेहो तो अक्सर खराब से खराब दोष को शुभ करता है। लगन का स्वामी और नवांश का स्वामी एकही भाव राशि के हों तो भी अक्सर दोष शांति को माना जाता है.किसी भी विवाह सम्बन्धीमिलान के लिये अथवा किसी शंका के लिये लिखें.
इस तरीके से आप भी निकाल सकते हैं विवाह का शुभ मुहूर्त
विवाह के लिए पंड़ितों द्वारा शुभ मुहूर्त निकाला जाता है। आपके घर में किसी केविवाह की तारीख तय करनी है, आप अगर चाहें तो बिना किसी पंड़ित के पास जाए स्वयंविवाह का शुभ मुहूर्त निकाल सकते हैं। विवाह का शुभ मुहूर्त निकालने की प्रक्रियाइस प्रकार है....
िवाह की शुभ तिथि जानने के लिए वर-वधू की जन्म राशि का प्रयोग किया जाताहै।
वर या वधू का जन्म जिस चन्द्र नक्षत्र में हुआ होता है। उस नक्षत्र के चरण मेंआने वाले अक्षर को भी विवाह की तिथि ज्ञात करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
विवाह की तिथि सदैव वर-वधू की कुण्डली में गुण-मिलान करने के बाद निकाली जातीहै।
विवाह मुहूर्त समय का निर्णय करने के लिए वर-कन्या की राशियों में विवाह की एकसमान तिथि को विवाह मुहूर्त के लिए लिया जाता है।
वर और कन्या की कुण्डलियों का मिलान कर लेने के पश्चात उनकी राशियों में जो-जोतारीखें समान होती हैं। उन तारीखों में वर और कन्या का विवाह शुभ व ग्राह्य मानाजाता है।  
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