क्या हैं योग जानिए योग को

  क्या हैं योग जानिए योग को

  योग - एक जीवन शैली हैं --पंडित "विशाल" दयानन्द शास्त्री
 
जब भी आप योग के बारे में सुनते हैं तो आप इसके बारे में अपने दिमाग में एकखाका तैयार करते हैं कि आखिर यह आपके लिए क्या है। योग का नाम आते ही कुछ के दिमागमें कांटों के बिस्तर पर बैठा फकीर याद आता होगा, जो ध्यान में लीन है और उन्हेंलगता होगा कि यही योग है।
 
कुछ लोग किसी पहाड़ की गुफा में बैठे किसी साधु के बारे में सोचते हैं और योगको उससे जोड़ कर देखते हैं। कुछ लोगों ने रीढ़ की हड्डी पर कुंडलिनी की ऊपर की ओरजाती हुई पिक्टोरल रिप्रजेंटेशन देखी होगी और उनकी योग में रुचि जग गई। जबकि कोई अन्य व्यक्ति योग स्टूडियो में जाकर शीशे के सामने योग एरोबिक्स करता है। वह अपने शरीर को देखता है, अपने आसन को ध्यान से देखता है और उन्हें लगता है कि योग शारीरिक होता है और यह उनके शरीर के आकार को बनाकर रखता है।
 
आजकल अनेक चैनलों और सचर पत्रों में  हिन्दू बनाम मुस्लिम के दायरे में योग कोलेकर बहस हो रही है क्योंकि इससे राजनीति सधती है। मुझे कभी कहीं नहीं लगा कि कोईस्वामी, कोई महात्मा ऐसी दावेदारी कर रहे हैं, आज क्यों ऐसा लग रहा है। वे योग कोधर्मविशेष के चश्मे से भी नहीं देखते।  योग डरपोक नहीं बनाता है। योग आपको किसी दलके अधीन नहीं करता है। योग के नाम पर किसी धार्मिक राजनीतिक विचारधारा काप्रोपेगैंडा नहीं किया जाना चाहिए। योग की उत्पत्ति धर्म की आधुनिक समझ पर छपीकिताबों के किसी भी पन्ने से नहीं होती है।संयुक्त राष्ट्र द्वारा 21 जून विश्व योगदिवस के रूप में स्वीकार होने पर आज इस विषय पर सम्पूर्ण विश्व का ध्यान गया हैं.. 
 
योगी सर्प, मेढक आदि जन्तुओं से आसन, मुद्रा, प्रणायाम आदि योगांकों को सीखकरअपने स्वास्थ्य और आयु की वृद्धि करने में समर्थ हुए थे। प्राचीन ऋषियों की, ईसाआदि महात्माओं की योगबल से रोगियों के रोग दूर करने की बात प्रसिद्ध ही है। योगबलके साधक ईर्ष्या-द्वेष, सुख-दुख, शत्रु-मित्र से दूर होकर शान्तचित्त होकर किसप्रकार पृथ्वीर पर शांति राज्य स्थापित करने में सहायक हुए थे इसके ज्वलंत उदाहरणहैं- शंकर, ईसामसीह, बुद्ध इत्यादि।
 
हर व्यक्ति योग के बारे में अपना अलग विचार रखता है या उसके दिमाग में इसकोलेकर अलग तस्वीर बनती है और इसी तरह से योग की पहचान बनी है। आप अपने दिमाग में योगको लेकर कई विचार, कई तस्वीरें बनाते हैं, जो ये तय करता है कि आपके लिए योग क्याहै। हालांकि इनमें से कुछ भी योग नहीं है। ...तो फिर आखिर योग है क्या?
 
योग आपके शरीर, व्यवहार, मन और भावनाओं को नियंत्रित करने वाली एक जीवनशैलीहै। यह दिल, दिमाग और हाथों के संबंधों या विशेषताओं को बढ़ाने वाली एक जीवनशैलीहै। मेरे विचार से यही योग की परिभाषा है।मैं योग को एक जीवनशैली के रूप में देखताहूं। जैसे-जैसे आप योग के छोटे-छोटे नियमों का अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में पालनकरने लगते हैं आपका दैनिक जीवन अच्छा होने लगता है। आप योग के छोटे-छोटे नियमों कोअपने व्यवहार में लाते हैं तो आपका व्यवहार अच्छा होने लगता है। आप थोड़ा-बहुतविश्राम और ध्यान करने लगते हैं तो आप अपनी जिंदगी में तनाव व चिंताओं से बेहतरतरीके से निपटने लगते हैं। जैसे ही आप योग घटकों को अपने दिनचर्या में लाना शुरूकरते हैं तो योग आपकी जीवनशैली का हिस्सा बन जाता है। अगर आपको लगता है कि योगक्लास में शारीरिक क्रियाओं, सांसों पर नियंत्रण, विश्राम और ध्यान के जरिए ही योगकिया जा सकता है तो फिर यह आपकी जिंदगी का हिस्सा कभी नहीं बन पाएगा।
 
योग परम्परा और शास्त्रों का विस्तृत इतिहास रहा है. हालाँकि इसका इतिहास दफनहो गया है अफगानिस्तान और हिमालय की गुफाओं में और तमिलनाडु तथा असम सहित बर्मा केजंगलों की कंदराओं में. जिस तरह राम के निशान इस भारतीय उपमहाद्वीप में जगह-जगहबिखरे पड़े है उसी तरह योगियों और तपस्वियों के निशान जंगलों, पहाड़ों और गुफाओंमें आज भी देखे जा सकते है. बस जरूरत है भारत के उस स्वर्णिम इतिहास को खोज निकालनेकी जिस पर हमें गर्व है. माना जाता है कि योग का जन्म भारत में ही हुआ मगर दुखद यहरहा की आधुनिक कहे वाले समय में अपनी दौड़ती-भागती जिंदगी से लोगों ने योग को अपनीदिनचर्या से हटा लिया| जिसका असर लोगों के स्वाथ्य पर हुआ| मगर आज भारत में ही नहींविश्व भर में योग का बोलबाला है और निसंदेह उसका श्रेय भारत के ही योग गुरूओं कोजाता है जिन्होंने योग को फिर से पुनर्जीवित किया|
 
योग संस्कृत धातु 'युज'  से उत्पगन्न हुआ है जिसका अर्थ है व्यक्तिगत चेतना याआत्मा का सार्वभौमिक चेतना या रूह से मिलन। योग 5000 वर्ष प्राचीन  भारतीय ज्ञान कासमुदाय है। यद्यपि कई लोग योग को केवल शारीरिक व्यायाम  ही मानते हैं जहाँ लोग शरीरको तोड़ते -मरोड़ते हैं और श्वास लेने के जटिल तरीके अपनाते हैं | वास्तव में देखाजाए तो ये क्रियाएँ मनुष्य के मन और आत्मा की अनंत क्षमताओं की तमाम परतों को खोलनेवाले ग़ूढ विज्ञान के बहुत ही सतही पहलू से संबंधित हैं|
 
योग विज्ञान में जीवन शैली का पूर्ण सार आत्मसात किया गया है , जिसमें ज्ञानयोग या तत्व ज्ञान,भक्ति योग या परमानन्द भक्ति मार्ग,कर्म योग या आनंदित कार्यमार्ग और राज योग या मानसिक नियंत्रण मार्ग समाहित हैं । राजयोग आगे और ८ भागों मेंविभाजित है। राजयोग प्रणाली के  मुख्य केंद्र में उक्त विभिन्न पद्धतियों कोसंतुलित करना एवं उन्हे समीकृत करना ही योग के आसनों का अभ्यास है...
 
आज योग को भारतीयता की पहचान बताते हुए हिन्दुत्व से जोड़ने का प्रयास हो रहाहै। पहले हिन्दुत्व और भारतीयता को एक कहा गया अब योग के बहाने भारतीयता की बात होरही है। जबकि योग का कभी दावा नहीं रहा कि वो किसी की सत्ता को बनाए या बचाए रखनेके लिए साधन बनेगा। हमें पूछना चाहिए कि क्या हम योग के स्वरूप को जानते हैं।ट्विटर पर हैशटैग चला देने या हठयोग के एक दो आसनों का प्रदर्शन कर सबको चौंका देना योग नहीं है। योग को लेकर कितनी सार्थक दार्शनिक बहस हो सकती थी लेकिन इसे आसनों के पैकेज में बदल दिया गया है। योगी वही चमत्कार करता हुआ दिख रहा है जिसकी चेतावनीयोग पर विचार करने वाले महात्माओं ने समय-समय पर जारी की है। क्या योग को तमामपरंपराओं से अलग किया जा रहा है?  
  • Powered by / Sponsored by :