ऐसे बनते हैं धन और यश के योग

ऐसे बनते हैं धन और यश के योग

ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की कुंडली में शुभ और अशुभदोनों योग होते हैं जिनमें कुछ ग्रह योग अशुभ माने जाते हैं जो व्यक्ति के जीवन कासुख-चैन छीन लेते हैं, तो कुछ ऐसे शुभ ग्रह हैं जो व्यक्ति का जीवन संवार देते  हैं। 
 
आपकी कुंडली में कौन-सा योग है उसे जानने के लिए आप ज्योतिषशास्त्र में बताएगए योग को समझ कर अपनी कुंडली जान सकते हैं---
 
* महालक्ष्मी योग :-
 
ज्योतिष विद्याएं ग्रह और उनके योगों के आधार पर फल का ज्ञान देती हैं। कुछग्रहयोग अशुभ तो कुछ शुभ माने जाते हैं। 
 
अशुभ योग किसी भी व्यक्ति का जीवन बर्बाद कर देता है जबकि कुछ शुभ योग व्यक्तिके जीवन को सुख-चैन से भर देते हैं। महान योगों में महालक्ष्मी योग धन और ऐश्वर्यप्रदान करने वाला योग है। 
 
यह योग कुंडली में तब बनता है जब धन भाव यानी द्वितीय स्थान का स्वामीबृहस्पति एकादश भाव में बैठ कर द्वितीय भाव पर दृष्टि डालता है। यह धनकारक योग मानाजाता है। 
 
*सरस्वती योग :-
 
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की यह योग जन्म कुंडली में तभीबनता है जब शुक्र, बृहस्पति और बुध ग्रह एक-दूसरे के साथ हों अथवा केंद्र में बैठकरएक-दूसरे से संबंध बना रहे हों। 
 
युति अथवा दृष्टि किसी प्रकार से संबंध बनने पर यह योग बनता है। यह योग जिसव्यक्ति की कुंडली में बनता है उस पर विद्या की देवी मां सरस्वती की कृपा खूब बरसतीहै। 
 
सरस्वती योग वाले व्यक्ति कला, संगीत, लेखन एवं विद्या से संबंधित किसी भीक्षेत्र में काफी नाम और धन कमाते हैं। नृप योग अपने नाम के अनुरूप ही अज्ञात होताहै। 
 
यह योग जिस भी व्यक्ति की कुंडली में बनता है वह राजा के समान जीवन जीता है।इस योग का निर्माण तब होता है जब व्यक्ति की जन्म कुंडली में तीन या उससे अधिक ग्रहउच्च स्थिति में रहते हैं। 
 
अमला योग भी शुभ और महान योगों में माना जाता है। यह योग तब बनता है जब जन्मपत्रिका में चंद्रमा से दशम स्थान पर कोई शुभ ग्रह स्थित होता है। इस योग वालाव्यक्ति अपने धन, यश और र्कीत हासिल करता है। 
 
* गजकेसरी योग :-
 
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार गजकेसरी योग को असाधारण योगकी श्रेणी में रखा गया है। यह योग जिस व्यक्ति की कुंडली में उपस्थित होता है उसेजीवन में कभी भी अभाव नहीं खटकता। 
 
इस योग के साथ जन्म लेने वाले व्यक्ति की ओर धन, यश और र्कीत स्वत: खिंची चलीआती है। जब कुंडली में गुरु और चंद्र पूर्ण कारक प्रभाव के साथ होते हैं तब यह योगबनता है। 
 
लग्र स्थान में कर्क, धनु, मीन, मेष या वृश्चिक हो तब यह कारक प्रभाव के साथमाना जाता है। हालांकि अकारक होने पर भी फलदायी माना जाता है परन्तु यह मध्यम दर्जेका होता है चंद्रमा से केंद्र स्थान में 1, 4, 7, 10 बृहस्पति होने से गजकेसरी योगबनता है। 
 
इसके अलावा अगर चंद्रमा के साथ बृहस्पति हो तब भी यह योग बनता है। पारिजात योगभी उत्तम योग माना जाता है। इस योग की विशेषता यह है कि यह जिस व्यक्ति की कुंडलीमें होता है वह जीवन में कामयाबी और सफलता के शिखर पर पहुंचता है परन्तु रफ्तारधीमी रहती है यही कारण है कि मध्य आयु के पश्चात इसका प्रभाव दिखाई देता है। 
 
* पारिजात योग :-
 
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की पारिजात योग का निर्माण तबहोता है जब जन्म पत्रिका में लग्रेश जिस राशि में होता है उस राशि का स्वामी कुंडलीमें उच्च स्थान पर हो या अपने घर में हो। छत्र योग जिस व्यक्ति की जन्म पत्रिका मेंहोता है वह व्यक्ति जीवन में निरंतर प्रगति करता हुआ उच्च पद को प्राप्त करताहै। 
 
इस योग को भगवान की छत्रछाया वाला योग कहा जा सकता है। यह योग तब बनता है जबकुंडली में चतुर्थ भाव से दशम भाव तक सभी ग्रह मौजूद हों या फिर दशम भाव से चतुर्थभाव तक सभी ग्रह उच्च स्थिति में हों। 
 
तीन भावों में दो-दो ग्रह हों या तीन भावों में एक-एक ग्रह स्थित हों तब शुभयोग बनता है। यह योग नंदा योग के नाम से जाना जाता है। इस योग वाला जातक स्वस्थ एवंदीर्घायु होता है। इस योग से प्रभावित व्यक्ति का जीवन सुखमय रहता है।
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