जानिए कैसे होता हैं दशाओं का प्रभाव

जानिए कैसे होता हैं दशाओं का प्रभाव

ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की धन कमाने या संग्रह करनेमें जातक की कुंडली में दशा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। द्वितीय भाव के अधिपतियानी द्वितीयेश की दशा आने पर जातक को अपने परिवार से संपत्ति प्राप्त होती है, पांचवें भाव के अधिपति यानी पंचमेश की दशा में सट्टे या लॉटरी से धन आने के योगबनते हैं। 
 
आमतौर पर देखा गया है कि यह दशा बीतने के साथ ही जातक का धन भी समाप्त हो जाताहै। ग्यारहवें भाव के अधिपति यानी एकादशेश की दशा शुरू होने के साथ ही जातक की कमाईके कई जरिए खुलते हैं। ग्रह और भाव की स्थिति के अनुरूप फलों में कमी या बढ़ोतरीहोती है। छठे भाव की दशा में लोन मिलना और बारहवें भाव की दशा में खर्चों मेंबढ़ोतरी के संकेत मिलते हैं। 
 
* शुक्र की महिमा :-
 
किसी व्यक्ति/जातक  के धनी होने का आकलन उसकी सुख सुविधाओं से किया जाता है।ऐसे में शुक्र की भूमिका उत्तरोत्तर महत्वपूर्ण होती जा रही है। किसी जातक कीकुंडली में शुक्र बेहतर स्थिति में होने पर जातक सुविधा संपन्न जीवन जीताहै। 
 
शुक्र ग्रह का अधिष्ठाता वैसे शुक्राचार्य को माना गया है, जो राक्षसों केगुरु थे, लेकिन उपायों पर दृष्टि डालें तो पता चलता है कि शुक्र का संबंध लक्ष्मीसे अधिक है। शुक्र के आधिपत्य में वृषभ और तुला राशियां हैं। इसी के साथ शुक्र मीनराशि में उच्च का होता है। 
 
इन तीनों राशियों में शुक्र को बेहतर माना गया है। कन्या राशि में शुक्र नीचहो जाता है, इसलिए कन्या का शुक्र अच्छे परिणाम देने वाला नहीं माना जाता। 
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